अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमान हैं की जो शख्स हलाल रोज़ी कमाता हैं और हराम की कमाई से दूर रहता हैं अल्लाह उसके दिल को अपने नूर से रोशन कर देता हैं दूसरी और जो शख्स हराम की कमाई करके उस कमाई को सदका और खैरात में देता हैं उसका वह सदका अल्लाह की तरफ से कबूल नहीं किया जाता अगर वह उस कमाई को खर्च करता हैं तो उस कमाई में बरकत नहीं होती और अगर वो उस कमाई को छोड़ कर मर जाये तो वह कमाई जहन्नम का सामान बन जाती हैं हराम की कमाई करने वाले की कोई दुआ कबूल नहीं की जाती बल्कि उस पर अल्लाह की तरफ से हमेशा लानत बरसती रहती हैं।
हज़रत सय्यदना सुफियान सौरी रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते हैं जो हराम माल से सदका खैरात करता हैं वो ऐसे शख्स के बराबर हैं जो नापाक कपड़ो को पेशाब से धोता हैं।
हज़रत सहल बिन अब्दुल्लाह तुसतरी रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते हैं की हलाल रिज़्क़ से बदन के सारे हिस्से इबादत में लगे रहते हैं दूसरी और हराम रिज़्क़ से गुनाहो में इज़ाफ़ा होता रहता हैं।
किसी बुज़ुर्ग ने फ़रमाया हैं की जब कोई शख्स हलाल रोटी का पहला निवाला खाता हैं तो उसके पहले के गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं जो इंसान हलाल रोज़ी की कमाई की तलाश में रहता हैं उसके गुनाह ऐसे झड़ते हैं जैसे पेड़ के पत्ते झड़ते हैं। हलाल कमाई की बरकतो के बारे में आप हमारी आगे की पोस्ट हलाल कमाई की बरकत को पढ़ सकते हैं
लिहाज़ा हम सभी को अल्लाह से यही दुआ करनी चाहिए की अल्लाह हमें ऐसे हराम कामो से दूर रहने की तौफीक अता फरमाए जो सीधे जहन्नम की और ले जाते हैं और अपने दीन पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए आमीन ।
हज़रत सहल बिन अब्दुल्लाह तुसतरी रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते हैं की हलाल रिज़्क़ से बदन के सारे हिस्से इबादत में लगे रहते हैं दूसरी और हराम रिज़्क़ से गुनाहो में इज़ाफ़ा होता रहता हैं।
किसी बुज़ुर्ग ने फ़रमाया हैं की जब कोई शख्स हलाल रोटी का पहला निवाला खाता हैं तो उसके पहले के गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं जो इंसान हलाल रोज़ी की कमाई की तलाश में रहता हैं उसके गुनाह ऐसे झड़ते हैं जैसे पेड़ के पत्ते झड़ते हैं। हलाल कमाई की बरकतो के बारे में आप हमारी आगे की पोस्ट हलाल कमाई की बरकत को पढ़ सकते हैं
लिहाज़ा हम सभी को अल्लाह से यही दुआ करनी चाहिए की अल्लाह हमें ऐसे हराम कामो से दूर रहने की तौफीक अता फरमाए जो सीधे जहन्नम की और ले जाते हैं और अपने दीन पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए आमीन ।
Baat apki theek hai lekin ye bataye agar koi seth majdoor ki adhi majdoori uske Bina bataye kha raha hai to vo haram main hai ya nhi ! Abhi ka musalman aisa insaan nhi raha haram ki kamai khane wale mil jayenge
जवाब देंहटाएंkisi ka haq ka paisa khana bilkul bhi jaiz nahi. kisi ko dhoke me rakhkar uska maal khana bhi haram ki kamai me aata he.
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