दोस्ती एक बहुत बड़ी निस्बत (रिश्ता) हैं। दोस्ती निभाने के लिए बहुत बड़ी क़ुरबानी भी देनी पड़ती हैं। लेकिन आज दोस्ती का मतलब बिलकुल बदल गया हैं। लोग अपनी ज़रूरत और काम के हिसाब से दोस्ती करते हैं, और मतलब निकल जाने के बाद अलग और दूर हो जाते हैं।
बुज़ुर्गो ने फ़रमाया, ऐसे आदमी से दोस्ती मत करो जो तुम्हारी कमज़ोरियाँ ऐब न बताये और तुम्हारी कमज़ोरियों को तुम्हारी खूबियां बताये। बल्कि दोस्त ऐसे बनाओ जो तुम्हे तुम्हारी कमज़ोरियों से ख़बरदार करता रहे ताकि तुम सुधर जाओ और गुनाहो से बच सको। लेकिन आज हाल यह हैं की अगर कोई इंसान उसके दोस्त की गलती या उसके अंदर की कोई बुराई बताये तो पल में लोग उससे मुँह मोड़ लिया करते हैं। और उसे अपना दुश्मन समझने लगते हैं। यही बात इंसान के ईमान को कमज़ोर करने लगती हैं। अगर आपमें कोई बुरी आदत हैं और आपका दोस्त आपको उससे बचाना चाहता हैं तो वह आपके भले के लिए बोल रहा हैं, न की आपको तकलीफ पहुंचा रहा हैं।
आजकल देखा जाता हैं, की अगर कोई इंसान कोई अच्छा बिज़नेस या नौकरी में लग जाता हैं तो उसके दोस्त उससे जलन रखना शुरू कर देते हैं। अगर वो कामयाब हो जाये तो जलते हैं और नाकामयाब हो जाये तो उस पर हँसते हैं। दूसरा अगर कोई शख्स उसके दोस्त से मदद चाहता हैं या उसकी राय चाहता हैं, किसी अच्छी नौकरी के लिए और उसका दोस्त उसके लिए अच्छी नौकरी होते हुए भी कोई बहाना कर रहा हैं या कहे वह उसकी कामयाबी को देखना नहीं चाहता। ऐसा शख्स भी कभी दोस्त नहीं हो सकता। ऐसे लोगो से हमेशा दूर रहे।
लड़कियों में भी यही देखा जाता हैं अगर किसी लड़की की शादी अच्छे घर में हो जाये या उसे अच्छा शोहर मिल जाये तो उसकी सहेलियां उससे दिल ही दिल में नफरत करना शुरू कर देती हैं, की इसको इतना सब कैसे मिल गया। बहुत से दोस्त एक दूसरे के चेहरे और उनके रहन सहन का मज़ाक बनाते हैं। वो ये सोचते हैं की हम इनसे काफी बेहतर हैं। लोग हमें ही देखेंगे। एक तरह से वो आपकी दोस्ती का मज़ाक बना रहे हैं। असल में एक सच्चा दोस्त वह हैं जो अपनी अच्छाई को छुपाकर अपने दोस्त को हमेशा आगे रखें और उसके साथ कदम कदम पर चले। मुश्किल वक़्त में उसका साथ दे।
आजकल किसी का मुश्किल वक़्त आते ही कुछ लोग अपने दोस्तों से छुपते छुपाते नज़र आते हैं। अगर उन्हें याद करो तो बहाना बनाते हैं की फलां मेरे ये काम हैं वो काम हैं। अगर कोई शख्स 50 लोगो से आपके लिए लड़ जाये समझो उसके दिल में आपके लिए बहुत इज़्ज़त हैं। लेकिन अफ़सोस ऐसे लोग बहुत कम देखने को मिलते हैं।
बहरहाल अच्छा और सच्चा दोस्त वही हैं जो हर हाल में अपने दोस्त का भला चाहे उसकी कामयाबी को अपनी कामयाबी समझे, उसका नुकसान अपना नुकसान समझे,उसके मुश्किल वक़्त को अपना मुश्किल वक़्त समझे यही आपकी ज़िम्मेदारी हैं और यही इस्लाम कहता हैं। अल्लाह पाक हमे इस्लाम के उसूलो पर चलने की तौफीक अता फरमाए आमीन।
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