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तहज्जुद की नमाज़ और उसकी फ़ज़ीलत (Tahajjud ki Namaz)

तहज्जुद की नमाज़ और उसकी फ़ज़ीलत (Tahajjud ki Namaz)

हम सब पर 24 घंटे में पांच वक्त की नमाज़ फ़र्ज़ है, लेकिन हमारे प्यारे आका हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर 6 वक्त की नमाज फ़र्ज़ थी। एक खास नमाज़ जो रात के पिछले पहर पढ़ी जाती है जिसे तहज्जुद की नमाज़ कहा जाता है। यह नमाज हमारे लिए सुन्नत है। खुश नसीब है वह लोग जो इस नमाज़ के पाबंद हैं। इसके बारे में अल्लाह तबारक व तआला ने फरमाया बेशक, रात में उठना (तहज्जुद की नमाज़ पढ़ना) नफ़्स को कुचलने के लिए बहुत सख्त हैं। इसकी बदौलत हर काम दुरस्त होते हैं।

अल्लाह के रसूल फरमाते हैं! आदमी जब सो जाता है तो शैतान उसकी गुद्दी (सिर का पिछले हिस्सा) में 3 गांठे लगा देता है और हर गांठ पर कहता है! अभी बहुत रात बाकी है कुछ देर और सो जा अगर आदमी उठकर अल्लाह का नाम लेता है तो एक गांठ खुल जाती है। जब वज़ू करता है तो दूसरी गांठ खुल जाती है। और जब नमाज पढ़ने लगता है तो तीसरी गांठ भी खुल जाती है। ऐसा आदमी सुबह उठने पर खुशी महसूस करता है और उसका बदन हल्का और तरोताजा हो जाता है। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसका बदन सुस्त और बदमिज़ाज रहता है। शैतान के पास नाक की दवा, चाटने और  छिड़कने की चीजें रहती हैं जब वह किसी इंसान की नाक में दवा डालता है तो वह बदमिज़ाज व बदअख़लाक़ हो जाता है। जब शैतान चाटने की दवा देता है तो बद्तमीज़ और बदज़बान हो जाता है, और जब शैतान आदमी पर दवा छिड़क देता है तो वह सुबह तक सोता रहता है।

हदीस शरीफ में है प्यारे रसूल हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं आधी रात को उठकर 2 रकात नमाज़ पढ़ना दुनिया और उसकी सारी चीजों से बेहतर है। अगर मुझे अपनी उम्मत की तकलीफ का ख्याल ना होता तो यह नमाज (तहज्जुद की नमाज़) भी मैं उन पर जरूरी करार दे देता।

रात में एक लम्हा ऐसा भी होता है कि बन्दा अगर उस वक़्त दुनिया और आख़िरत की भलाई के लिए अपने रब से दुआ करें तो अल्लाह तआला उसकी दुआ को कबूल फरमा लेता है।

हज़रत मुगीरा बिन शोअबा रदियल्लाहो अन्हो का बयान है एक बार रात में अल्लाह के रसूल इतनी देर नमाज के लिए खड़े रहे कि आपके पैरों में वरम आ गया। सहाबा ने आपकी यह हालत देखी तो कहने लगे या रसूलल्लाह ! अल्लाह ने तो आपके अगले पिछले सब गुनाह माफ फरमा दिए है फिर आप इतनी तकलीफ क्यों उठाते हैं? आपने जवाब देते हुए फरमाया तो क्या मैं अपने रब का शुक्रगुजार बन्दा न बनूँ? अल्लाह का वादा है की अगर तुम मेरा शुक्र अदा करोगे तो मैं तुम्हें और दूंगा।

हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहो अन्हो का बयान है आका ने हमसे फरमाया अगर तुम चाहते हो कि जिंदगी, मौत, कब्र, हश्र में तुम पर अल्लाह की रहमत नाज़िल हो तो रात के पिछले पहर अपने रब की रज़ा के लिए इबादत किया करो। अपने घरों में भी नमाज़े पढ़ा करो, जिससे तुम्हारा घर आसमान से ऐसा चमकता नज़र आएगा जैसा की ज़मीन वालों को आसमान पर चमकते तारे दिखाई देते हैं।

हदीस शरीफ में है तहज्जुद की नमाज की बरकत से बंदे को अल्लाह का क़ुर्ब (अल्लाह के करीब) हासिल होता है। बन्दे के  गुनाह माफ होते हैं। बीमारियां दूर होती हैं। वह गुनाहों से बचता है। हजरत अबू ज़र गिफारी रदियल्लाहो अन्हो को तालीम देते हुए अल्लाह के रसूल ने फरमाया कयामत के अज़ाब से बचने के लिए सख्त गर्मी के दिनों में रोज़ा रखा करो, कब्र की वहशत दूर करने के लिए अँधेरी रात में दो 2 रकात नमाज नफ़्ल पढ़ा करो। हज करो, गरीबो को खैरात दो, हक़ बात बोलो और बुरी बात से ज़बान को रोको।

नबीए रहमत के ज़माने में एक साहब ऐसे थे की जब लोग रात को सो जाते थे तो वह साहब नमाज के लिए खड़े हो जाते और कुरान की तिलावत करते और दुआ मांगते की ए इलाही ! ए परवरदिगार ! मुझे जहन्नम से बचा। लोगों ने उनके बारे में जब रसूल अकरम को खबर दी तो आपने एक रात और खुद उनकी कैफियत देखी और दुआ सुनी तो सुबह को फरमाया ! तुमने अल्लाह से जन्नत के लिए दुआ क्यों नहीं मांगी ? वह बोले या रसूलल्लाह! मैं जन्नत का सवाल कैसे करता ! अभी तो मैं जन्नत का सवाल करने के काबिल ही नहीं हुआ हूँ। इतने में हज़रत जिब्राइल अलैहिस्सलाम ने आकर खबर दी या रसूलल्लाह आप उन्हें बशारत सुना दें की अल्लाह ने उन्हें जहन्नम से बचाकर जन्नत में दाखिल फरमा दिया हैं।

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