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इंसानी खिदमत के बारे में इस्लाम क्या कहता हैं? (Insani Khidmat in Islam)

इंसानी खिदमत

इस्लाम में इंसान को खिदमत की एक बहुत बड़ी अहमियत बताया गया हैं। इंसानी खिदमत को इस्लाम में एक इबादत कहा गया हैं। इस्लाम पुरे इंसानी समाज को एक खानदान मानता हैं। इसलिए तो अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया हैं ! खुदा की सारी मखलूक अल्लाह का कुंबा हैं। अल्लाह को हर वह इंसान पसंद हैं जो उसकी बनायीं मखलूक के साथ अच्छा बर्ताव करता हो और उसकी इज़्ज़त करता हो। 

अल्लाह एक हैं वह अकेला सारी कायनात इस दुनिया का मालिक और उसे पालने वाला हैं। अल्लाह को अपनी मखलूक से बहुत प्यार हैं। वही सब को रोज़ी देता हैं। और सब की ज़रूरतें पूरी करता हैं। अल्लाह ने अपने रसूलों नबियों के ज़रिये ये पैगाम दिया हैं की हर इंसान की इज़्ज़त करो। उसके साथ अच्छे से पेश आओ। अगर वह आपका दुश्मन हैं तो उससे दोस्ती का हाथ बढ़ाओ। यहाँ हर इंसान का मतलब पूरी दुनिया में मौजूद तमाम इंसान चाहे वो किसी भी समाज या धर्म के हो आप को चाहिए की आप सभी इंसानो की इज़्ज़त करे। 

आज पूरी दुनिया में अरबो लोगो की तादाद मौजूद हैं। उनमे से कुछ इंसान हैं और ना जाने कितने इंसान के भेष में हैवान मौजूद हैं। आपको चाहिए आप इंसान को पहचाने हैवानो से बच कर रहे। अगर हो सके तो ऐसे हैवानो को इंसान बनाने में अपनी पूरी कोशिश करे। 

चलिए बात करते हैं अल्लाह के मखलूक की खिदमत के बारे में आप को बता दे की अल्लाह की मखलूक से नेक सुलूक करने का मतलब यह हैं की उस पर रहम किया जाये। उसकी खिदमत की जाये। उस पर कोई ज़ुल्म ना किया जाये। ना ही उसे बेवजह परेशान किया जाये। इस्लाम कहता हैं की अपने आस पास के माहौल को हमेशा अच्छा बनाने की कोशिश करे। अमन व सुकून से रहे और आस पास के लोगो को भी रहने दे। अगर कोई पड़ोसी या आपके मोहल्ले में रहने वाला परेशान हैं तो उसकी मदद करे चाहे वो कोई भी हो अगर वह एक सच्चा इंसान हैं तो ज़रूर उसकी मदद करे। 

हर मुसलमान को चाहिए की अपनी हैसियत के मुताबिक लोगो की मदद करे। उनके काम आये। अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया हैं बेसहारा का सहारा बने ज़रूरत मंदो की मदद करे। लोगो के उलझे मसायल को सुलझाए। यही इस्लाम कहता हैं। आज लोग इन सब चीज़ो पर ध्यान नहीं देते उन्हें बस अपनी ज़िन्दगी की पड़ी हैं यह इस्लाम ने उन्हें नहीं सिखाया हैं बल्कि यह वह लोग हैं जो इस्लाम के कायदों के हिसाब से नहीं चलते। इस्लाम में तो हर छोटी से छोटी मदद को भी एक इबादत कहा गया हैं सुभानअल्लाह। 

अल्लाह को वह लोग बहुत पसंद आते हैं जो एक दूसरे की मदद करते हैं। उनका सहारा बनते हैं। अल्लाह को ऐसे भी लोग बहुत पसंद हैं। जो किसी से आस (उम्मीद) लगा कर नहीं रखते और बिना किसी की मदद लिए लोगो की मदद में लग जाते हैं। अल्लाह को ऐसे लोग बिलकुल पसंद नहीं जो पहले यह सोचते हैं की कोई मदद नहीं कर रहा तो मैं क्यों करुँ। ऐसे लोगो को पहले यह सोचना चाहिए की अल्लाह भी तो सब लोगो की मदद करता हैं चाहे उसके बन्दे कितने ही गुनहगार हो। 

आप आज जो पैसा बचा रहे हैं और ज़रूरत मंदो की मदद करने मेँ कतराते हैं। उन पैसो को बाज़ारों में घूमने खरीदारी करने महंगे कपडे पहनने महंगा खाना खाने में खर्च कर देते हैं और चंद रूपये किसी गरीब को देने में सोचते हैं। खुदा ना करे अगर आपके ऐसे हालात हो जाये की आप जो पैसा बचा रहे थे वही पैसा चंद दिनों में ख़तम हो जाये और आप बर्बाद हो जाये और आपकी माली हालत बद से बदतर हो जाये। इसलिए आपको चाहिए की ज़्यादा से ज़्यादा सदक़ा खैरात करे ताकि अल्लाह आप को और दौलत से नवाज़े और आप ऐसी परेशानियों से बच सके। 

अल्लाह के प्यारे रसूल मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के पास जब कोई ज़रूरतमंद आता तो आप हमेशा उसकी मदद फरमाते। आपने लोगों की मदद करने में कभी कोताही नहीं की। आपने यही फ़रमाया की नेक और ईमानदार इंसान जो हलाल कमाई से अपना गुज़ारा करता हैं अगर वह किसी मुसीबत में हैं या ज़रूरतमंद हैं तो आप हमेशा उसकी मदद करे। आपने यह भी फ़रमाया की जो आदमी किसी को खुश करने के लिए उसकी मदद करता हैं उसकी ज़रूरत पूरी करता हैं वह हक़ीक़त में मुझे खुश करता हैं। अल्लाह को खुश करता हैं और अल्लाह को खुश करने वाला जन्नत का हक़दार हैं। 

बहरहाल आज के इस ज़माने में ऐसे लोग बहुत कम बचे हैं जो बेझिझक बिना सोचे लोगो की मदद करते हैं। आजकल तो यह भी देखने को मिलता हैं लोग अपनी बिरादरी या धर्म देखकर लोगो को मदद करते हैं। जो की गलत हैं। कोई यह नहीं सोचता की किसी इंसान की मदद की जाये। खैर हमें चाहिए की हम हर इंसान की इज़्ज़त करे। उसकी खिदमत करे। क्यूंकि अगर हर आदमी अगर किसी के काम आने लग गया तो इंशाल्लाह कभी किसी को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। 

अल्लाह से यही दुआ हैं की अल्लाह हमें इतनी दौलत दे की हम ज़्यादा से ज़्यादा लोगो की मदद कर सके और उनके दुःख दर्द में उनका सहारा बन सके आमीन। 

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