ईद उल फ़ित्र मुसलमानों के सबसे प्रमुख त्यौहार में से एक त्यौहार हैं। ईद उल फ़ित्र का त्यौहार रमज़ान महीने के पुरे रोज़े मुकम्मल होने पर मनाया जाता हैं। ईद उल फ़ित्र का चाँद दिखने के साथ ही शव्वाल का महीना भी शुरू हो जाता हैं। इससे पहले हमने शव्वाल महीने की इबादतों पर भी एक ब्लॉग लिखा था आज हम ईद उल फ़ित्र का त्यौहार ईद उल फ़ित्र की नमाज़ और उसके तरीके के बारे में बात करेंगे ताकि आपको ईद उल फ़ित्र से जुड़ी ज़रूरी मालूमात हासिल हो जाये।
ईद उल फ़ित्र का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं?
रमज़ान के महीने में मुसलमान रोज़े रखता हैं इबादत करता हैं। रमज़ान के पुरे रोज़े होने के बाद यानि आखरी रोज़े में शाम को शव्वाल महीने का चाँद दिखाई देता हैं और उसके अगले दिन यानि की अगली सुबह ईद उल फ़ित्र का त्यौहार मनाया जाता हैं। ईद उल फ़ित्र का त्यौहार एक ख़ुशी का त्यौहार हैं रमज़ान के पुरे रोज़े होने की ख़ुशी में यह त्यौहार मनाता हैं यानि की जो रमज़ान में रोज़े रखे, पुरे महीने इबादत करी और बुरे कामो से दूर रहने के एक महीने मुकम्मल होने पर मुसलमान अल्लाह का शुक्र अदा करता हैं और ईद उल फ़ित्र का त्यौहार मनाता हैं। ईद उल फ़ित्र त्यौहार मानाने की शुरुआत पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने की थी। तब से लेकर ईद उल फ़ित्र इस्लाम में एक सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार बन गया है।
ईद उल फ़ित्र में क्या काम करना चाहिए?
- ईद उल फ़ित्र के फ़ित्र नहा धोकर अच्छे कपड़े या नया इस्लामी लिबास पहनना चाहिए।
- कपड़ो पर इत्र लगाना चाहिए।
- मर्दो को ईदगाह जाकर ईद उल फ़ित्र की नमाज़ अदा करना चाहिए औरतो को घर में चाशत की नमाज़ अदा करना चाहिए।
- ईद उल फ़ित्र के दिन ज़कात खैरात करना चाहिए हो सके तो नमाज़ से पहले ही ज़्यादा से ज़्यादा ज़कात खैरात करें।
- घरों में अच्छा पकवान या तरह तरह के पकवान जैसे सेवइयां खीर इत्यादि बनाने चाहिए।
- एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देना चाहिए और घरों में तरह तरह के पकवान बनाकर रिश्तेदारों दोस्तों की दावत करना चाहिए।
- बच्चो को ईदी और बड़ो को उपहार पेश करना चाहिए क्यूंकि ईद उल फ़ित्र एक खुशी का दिन हैं।
ईद उल फ़ित्र के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
- ईद उल फ़ित्र के दिन कोई लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए।
- ईद उल फ़ित्र के दिन रोज़ा नहीं रखना चाहिए।
- ईद उल फ़ित्र के दिन ज़्यादा सोना नहीं चाहिए।
- ईद उल फ़ित्र के दिन मायूस या परेशान नहीं होना चाहिए।
ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का तरीका जानना क्यों ज़रूरी हैं?
अक्सर हम देखते हैं की हम में से कुछ लोग (खासकर कम उम्र के बच्चे) ईद की नमाज़ का तरीका हर साल भूल जाते हैं। वैसे तो ईद उल फ़ित्र की नमाज़ से पहले इमाम नमाज़ का तरीका बताते है लेकिन कुछ लोग नमाज़ शुरू होने से कुछ ही देर पहले ईदगाह पहुचंते है तो वह फिर नमाज़ का तरीका भूल जाते हैं या उन्हें याद नहीं रहता और आस पास के लोगों को देखकर नमाज़ अदा करते हैं। इसलिए हम आपको ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का तरीका बता रहे हैं ताकि आप नमाज़ से पहले इसे पढ़ कर और समझ कर अपनी नमाज़ आसानी से अदा कर सके।
ईद उल फ़ित्र की नमाज़ में कितनी रकात होती हैं?
ईद उल फ़ित्र में सिर्फ 2 रकात नमाज़ अदा करनी होती है लेकिन नमाज़ का तरीका दूसरी नमाज़ों से अलग होता हैं।
ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का वक़्त क्या होता हैं?
ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का वक़्त सूरज निकलने के 30 मिनट बाद से शुरू हो जाता हैं लेकिन आमतौर पर ईद की नमाज़ सुबह 8 बजे से 10 बजे की बीच पढ़ी जाती हैं। कहने का मतलब हर ईदगाह में नमाज़ के वक़्त में थोड़ा बहुत फर्क रहता हैं। लिहाज़ा आप अपने शहर में जो नमाज़ का वक़्त बताया गया हैं उस वक़्त के हिसाब से ईदगाह जाकर नमाज़ अदा करें।
ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का तरीका
सबसे पहले ईद उल फ़ित्र नमाज़ की नियत करें जो इस तरह है,
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ ईद उल फ़ित्र वाजिब मय ज़ाइद 6 तकबीरों के वास्ते अल्लाह तआला के पीछे इस इमाम के, मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर कहते हुए कानों तक हाथ उठाये फिर बांध ले फिर सना पढ़े "सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका"। फिर इमाम के साथ अल्लाहु अकबर कहते हुए दोनों हाथ कानों तक ले जाये और छोड़ दे। दूसरी बार भी अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथ कानों तक ले जाये और छोड़ दे। तीसरी मर्तबा अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथ कानों तक ले जाये और फिर बांध ले। फिर इमाम जो भी पढ़ रहे हैं जैसे सूरह फातेहा और उसके बाद कोई सूरह उसे चुपचाप ख़ामोशी से सुने। इसमें आप को कुछ पढ़ने की ज़रूरत नहीं हैं। अगर इमाम की आवाज़ नहीं भी आ रही हैं फिर भी खामोश रहे। फिर इमाम के साथ रुकू जाकर 3 मर्तबा "सुबहाना रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। फिर सजदे में जाकर 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े।
आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले। फिर इमाम जो पढ़ रहा है उसे फिर से ख़ामोशी से सुने। दूसरी रकात में आपको 3 मर्तबा हाथ को अल्लाहु अकबर कहते हुए कानों तक तक ले जाकर छोड़ देना हैं। फिर चौथी मर्तबा जब इमाम अल्लाहु अकबर कहता हैं तो सीधे रुकू में जाना हैं फिर 2 मर्तबा सजदा करने के बाद बैठ जाना हैं। फिर इमाम अत्तहिय्यात, दरूदे इब्राहिम, दुआ ए मसुरा पढ़ेंगे। आप को सिर्फ खामोश बैठना हैं। उसके बाद इमाम के साथ सलाम फेरना हैं इस तरह आपकी ईद उल फ़ित्र नमाज़ हो जाएगी।
इंशाल्लाह ये तरीका जानने के बाद आपको ईद उल फ़ित्र की नमाज़ में कोई गलती नहीं होगी। हम उम्मीद करते हैं आज का ये आर्टिकल पढ़ कर आपको ईद उल फ़ित्र के बारे में जानकारी हासिल हो गयी होगी। अल्लाह हम सब को रमज़ान के महीने में पाबन्दी से रोज़ा रखने, इस महीने में पाबन्दी से इबादत करने और इस महीने के गुज़र जाने के बाद भी पांच वक़्त की नमाज़ का पाबंद बनाये आमीन।