सूरह अल-मुज़म्मिल क़ुरान शरीफ की 73 वीं सूरह हैं और यह क़ुरान शरीफ के 29 वे पारे में मौजुद हैं। ये सूरह मक्का में नाज़िल हुई थी इसलिए इसे मक्की सूरह भी कहा जाता हैं। सूरह मुज़्ज़म्मिल में 20 आयतें 227 शब्द और 847 अक्षर हैं। सूरह अल-मुज़म्मिल रात में इबादत करने पर ज़ोर डालता हैं और पूरी तरह से अल्लाह पर भरोसा करना बताता हैं। सूरह मुज़म्मिल इंसान को शांत रहने का भी सन्देश देता हैं। इस सूरह में ये कहा गया हैं की आपको हर काम में सब्र रखना चाहिए चाहे वह कोई भी काम हो सब्र रखने से ही आपको उसका फल मिलता हैं।
क़ुरान में हर एक सूरह में अलग अलग बातें बताई गयी हैं हर सूरह का अपना अलग मायने हैं। हर सूरह कोई न कोई सन्देश और हिदायत मुसलमानो को देता हैं। इसी तरह सूरह मुज़्ज़म्मिल भी क़ुरान की एक सूरह हैं जिसमें अल्लाह की तरफ से कुछ सन्देश दिया गया हैं। अल मुज़म्मिल एक अरबी शब्द हैं जिसका मतलब होता हैं लिपटा हुआ या ढका हुआ। ये नाम हमारे प्यारे नबी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नामों में से भी एक नाम हैं। सूरह मुज़्ज़म्मिल में अल्लाह की इबादत करने अच्छे काम करने से मिलने वाले सवाब को भी इस सूरह में बताया गया हैं। सूरह मुज़म्मिल में अच्छे काम करने वाले, अल्लाह की इबादत करने वाले लोगों को जन्नत का हक़दार बनने और बुरे काम करने वाले लोगों को जहन्नम की आग में डालने जैसी बातों को भी इसमें बताया गया हैं। अल्लाह ने मुसलमानो को क़ुरान इसलिए दिया ताकि वह हिदायत के रास्ते पर चल सके।
सूरह मुज़म्मिल क्यों नाज़िल हुई?
अल्लाह ने हमारे नबी को ये सन्देश दिया की आप रात में इबादत करें। क्यूंकि ज़िन्दगी में होने वाली मुसीबतों से सामना करने और कामयाबी हासिल करने के लिए क़ुरान पढ़ना ज़रूरी हैं। दूसरी बात हर मुस्लमान को अपने कमाई से कुछ पैसा गरीबों को देना का आदेश इस सूरह में बताया गया हैं। ये ज़रूरी बातें मुसलमानो को बताने के लिए अल्लाह ने सूरह मुज़म्मिल को नाज़िल किया।
सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने के फायदे और उसकी फ़ज़ीलत क्या हैं?
- सूरह मुज़्ज़म्मिल हमारे दिल को साफ़ करता है और दिलों में मौजूद बुराई का ख़ात्मा करता है।
- सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने से किसी भी तरह की दिमागी बीमारी से आदमी बचा रहता हैं।
- एक हदीस के मुताबिक जो शख्स रोज़ाना सूरह मुज़्ज़म्मिल पढता हैं तो उसे उसे हज़रत पैगम्बर से मिलने का मौका मिलेगा।
- ये सूरह रोज़ाना पढ़ने से बुरी बलाओं, बुजी नज़रों और अचानक होने वाली मुसीबतों से आपकी हिफाज़त रहती हैं। रात को सोने से पहले सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने से ईमान भी मज़बूत रहता है।
- रोज़ाना सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने से बड़ी से बड़ी मुश्किल से आप निकल सकते हैं।
- सूरह मुज़्ज़म्मिल रोज़ाना पढ़ने के बाद जो दुआ आप दिल से मांगोगे वो दुआ आपकी कबूल होगी।
- अगर कोई ईशा की नमाज़ के बाद सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ेगा वह रात भर शैतानी वसवसे से दूर रहेगा कोई उसका कुछ बिगड़ नहीं पायेगा।
- ये सूरह पढ़ने से आप दुनियावी ज़िन्दगी में लोगों की गुलामी से बचे रहोगे।
- हर इंसान की ज़िन्दगी में रोज़ कोई न कोई परेशानी आती ही रहती हैं। सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने से आप ये रोज़ाना होने वाली परेशानी से बचे रहोगे।
- सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने से जान और माल की हिफाज़त रहेगी और माल में भी बरकत होगी और आपकी भी हिफाज़त रहेगी।
- जुमेरात के दिन सूरह मुज़्ज़म्मिल 100 मर्तबा पढ़ने से आपके 100 गुनाह माफ़ हो जायेंगे।
- सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने वाला शख्स ज़िन्दगी में कामयाब होने से कभी नहीं कतराएगा मतलब ये सूरह उसे कामयाबी के रास्ते पर ले जाएगी।
- सूरह मुज़्ज़म्मिल आपको घबराहट और टेंशन से छुटकारा दिलवाएगी इसे पढ़ने से आपका दिल भी मज़बूत होगा।
- ये सूरह आपको एक अच्छा मुसलमान बनने के लिए प्रेरित करती हैं।
- सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने वाला शख्स जहन्नम के अज़ाब से होने वाले दर्द से बचा रहेगा कहने का मतलब जब उस शख्स को जहन्नम में उसके गुनाहो को अज़ाब दिया जायेगा तो उस शख्स हो उस अज़ाब से तकलीफ नहीं होगी।
- सूरह मुज़्ज़म्मिल ज़ालिम लोगों से लड़ने के लिए आपको सही मार्गदर्शन देती हैं।
सूरह मुज़म्मिल से हमें क्या शिक्षा मिलती हैं?
सूरह मुज़म्मिल हमें बताता हैं की हमें रात में अल्लाह की इबादत करना चाहिए। रात का मतलब सिर्फ सोना नहीं होता, रात में अल्लाह की इबादत करके अपने गुनाहो की माफ़ी मांगना चाहिए और अच्छे मुसलमान बनने के लिए अल्लाह से दुआ मांगना चाहिए। सूरह मुज़म्मिल यह सीख भी हमें देता है की हमें हमेशा सब्र करना चाहिए और अच्छे वक़्त का इंतज़ार करना चाहिए। ये सूरह अच्छे काम पर ज़ोर डालता है और बुरे कामो को करने वाले लोगों को चेतावनी देता हैं। सूरह मुज़म्मिल गरीबो की मदद करने ज़कात देने पर ज़ोर देता हैं और ये बताता हैं की आप को ज़कात देने और गरीबो की मदद करने का सवाब ज़रूर मिलेगा और आप पर अल्लाह की मेहरबानी रहेगी। इसमें यह भी बताया गया हैं की जो शख्स खुदा को नहीं मानता वो अल्लाह की तरफ से सज़ा का हक़दार बनेगा और जहन्नम की आग का शिकार होगा।
आखरी पैगाम
क़ुरान में मौजूद हर सूरह में हर तरह की मुसीबतों से बचने उनसे लड़ने और एक अच्छी ज़िन्दगी जीने का तरीका बताया गया हैं। हम लोग अगर क़ुरान को पाबन्दी से पढ़ेंगे और उस पर अमल करेंगे तो इंशाल्लाह कोई भी मुसीबत या परेशानी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगी। क़ुरान में हर हर चीज़ का इलाज हैं। क़ुरान में मौजूद हर सूरह हमें ज़िन्दगी में आगे बढ़ने और नेक अमल करने का पैगाम देती हैं और हमें गलत काम करने से बचती हैं। लिहाज़ा हम सब को चाहिए की हम पाबन्दी से नमाज़ और क़ुरान को पढ़े और अल्लाह से अपनी मगफिरत की दुआ मांगे। जो मांगना हैं अल्लाह से मांगे अल्लाह आपको हर वो चीज़ देगा जिसकी आपको चाहत हैं। आखिर में हम यही बोलेंगे की अल्लाह हमें पांच वक़्त का नमाज़ी और दीन पर चलने का पाबंद बनाये आमीन।