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ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त और पढ़ने का तरीका

ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त और पढ़ने का तरीका


आज हम ज़ोहर की नमाज़ पर बात करेंगे और आपको बताएँगे की आखिर ज़ोहर की नमाज़ क्या होती हैं? इसका सही वक़्त कौनसा होता हैं? इस नमाज़ में कितनी रकात होती हैं? इस नमाज़ को पढ़ने का क्या तरीका है? मेरे भाइयों और बहनों जैसा की हम सब जानते है की इस्लाम में हमें जो पांच नमाज़े पढ़ने का हुक्म हैं।  वो सभी नमाज़े हमें पाबन्दी से पढ़ना हैं।  उसे बेवजह छोड़ना नहीं हैं।  अगर हम बेवजह नमाज़ छोड़ देते है हम पर अल्लाह का अज़ाब नाज़िल होगा। जो बहुत भयानक होगा। बेनमाज़ी लोगों पर जो अल्लाह का जो अज़ाब नाज़िल होता हैं उस पर हम पहले भी एक आर्टिकल लिख चुके हैं। आपके चाहे तो लिंक पर क्लिक करके वह आर्टिकल पढ़ सकते हैं।  

खैर हम बात करते हैं ज़ोहर की नमाज़ की, सबसे पहले बात करते हैं आखिर ज़ोहर की नमाज़ क्या होती हैं?

इस्लाम में जो पांच नमाज़े मुसलमानों पर फ़र्ज़ हैं उन पांच नमाज़ों में से जो दूसरी नमाज़ होती हैं वो ज़ोहर की नमाज़ कहलाती है। ज़ोहर की नमाज़ से पहले फज्र की नमाज़ होती हैं। एक हदीस में आया हैं की जो शख्स पाबन्दी से ज़ोहर की नमाज़ अदा करता है उसके माल और दौलत में इज़ाफ़ा होता हैं और वह कभी परेशान नहीं रहता हैं। सुब्‍हान‍अल्लाह

ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त कब से कब तक रहता है?

वैसे तो हम सभी ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त जानते हैं लेकिन कुछ बच्चे जो की शुरू में नमाज़ पढ़ना सीखते हैं उन्हें नमाज़ और उसके वक़्त का पता नहीं रहता। इसलिए हम आपको बता दें की ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त जवाल के वक़्त के बाद शुरू होता हैं याद रहे है की जवाल का वक़्त गुज़र जाने के बाद ही ज़ोहर की नमाज़ अदा की जा सकती हैं। जवाल के वक़्त कोई भी नमाज़ पढ़ना मकरूह हैं। जवाल का वक़्त यानि जब सूरज बिलकुल सर के ऊपर रहता हैं। ये वक़्त दिन में करीब 11:30 से लेकर 12:30 बजे तक रहता हैं।    

ज़ोहर की नमाज़ वक़्त 1 बजे से लेकर असर की नमाज़ की अज़ान से पहले तक रहता है वैसे तो अलग अलग शहरों की मस्जिदों में ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त थोड़ा अलग रहता है। कहीं 1 बजे तक अज़ान हो जाती हैं तो कहीं 2 बजे। अज़ान होने के 15 मिनट बाद इमाम ज़ोहर की नमाज़ पढ़वाते हैं। अगर आप कहीं सफर कर रहे हो जहाँ न मस्जिद हैं न कहीं से अज़ान की आवाज़ आ रही हैं तो आप पहले तो मोबाइल या घड़ी में वक़्त देख ले अगर 1 बजे से लेकर 4 बजे के बीच वक़्त हैं तो आप नमाज़ पढ़ सकते हैं क्यूंकि 4 बजे के बाद असर का वक़्त शुरू हो जाता हैं।

ज़ोहर की नमाज़ में कितनी रकात होती हैं 

आपको बता दें की ज़ोहर की नमाज़ में 12 रक़ातें होती हैं। जो इस तरह है,

4 रकात नमाज़ सुन्नत

4 रकात नमाज़ फ़र्ज़ 

2 रकात नमाज़ सुन्नत

2 रकात नमाज़ नफ़्ल 

मतलब पहले 4 सुन्नत पढ़ी जाएगी फिर 4 फ़र्ज़ उसके बाद 2 सुन्नत और आखिर में 2 नफ़्ल नमाज़ आपको पढ़नी हैं।

ज़ोहर की नमाज़ पढ़ने का तरीका 

दिन की पांचो नमाज़ के पढ़ने का तरीका लगभग एक ही जैसा हैं। सब में बस नियत और रकात का फर्क होता है बाकि सब कुछ तरीका बिलकुल एक ही जैसा हैं। आपने हमारे पिछले ब्लॉग में फज्र, असर और मगरिब की नमाज़ को पढ़ने का जो तरीका पढ़ा होगा। जो तरीका उसमे दिया गया है वही तरीका ज़ोहर की नमाज़ में भी अपनाना हैं। 

हम आपको ज़ोहर की 4 सुन्नत नमाज़ पढ़ने का पूरा तरीका बताते है। वो अगर आपने सीख लिया तो बाकि की नमाज़ भी आप आसानी से सीख लेंगे। 

4 रकात नमाज़ सुन्नत का तरीका 

सबसे पहले नमाज़ की नियत करे जो इस तरह है  

नियत की मैंने 4 रकात नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त ज़ोहर का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले। उसके बाद आपको सूरह सना पढ़ना हैं जो हैं "सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका" इसके बाद आप अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़े। उसके बाद सूरह फातेहा पढ़े। सूरह फातेहा पढ़ने के बाद कोई एक सूरह पढ़े जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक या कोई और सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। सूरह पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा "सुबहान रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। 

इस वक़्त आपको अपनी नज़र अपने पैर के अंगूठे पर रखनी हैं। इसके बाद आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये। सजदे में इस तरह जाये की आपका सीधा घुटना पहले ज़मीन पर लगे। फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 

आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले और फिर से सूरह फातेहा (अल्हम्दु शरीफ) पढ़े और उसकी बाद कोई दूसरी सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। उसके बाद फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाये। रुकू में जाने के बाद वापिस 3 मर्तबा "सुबहाना रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। इसके बाद वापिस आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और दोबारा रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर कहते हुए सजदे में जाये। सजदे में वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे पैर के पंजो के बल पर बैठ जाये। 

ध्यान रहे आप जब बैठे तो सीधे पैर के अंघूठे के बल पर पांचो अँगुलियों समेत बैठे। उल्टा पैर आप ज़मीन पर टिका सकते हैं। अगर कोई परेशानी आ रही हैं इस तरह बैठने में या अंगूठा हिल जाता है तो कोई मसला नहीं लेकिन जानबूझकर अंगूठा हिलाना या दोनों पैर ज़मीन पर टिका कर बैठना गलत हैं। 

फिर आप अत्तहिय्यात पढ़े अत्तहिय्यात पढ़ने के दौरान आपको अशहदु अल्लाह अल्फ़ाज़ आते ही शहादत की ऊँगली को उठाना हैं। फिर आप अल्लाहो अकबर बोलते हुए तीसरी रकात के लिए फिर से खड़े हो जाये। जैसे आपने ये 2 रकात पढ़ी उसी तरह आपको 4 सुन्नत की आखरी 2 और रकात पढ़नी हैं। बस आखिर की 2 रकात में अत्तहिय्यात के बाद दरूदे इब्राहिम एक बाद और दुआ ए मसुरा एक एक बार पढ़ना हैं। उसके बाद सलाम फेरना हैं। इस तरह आपकी 4 रकात नमाज़ सुन्नत हो जाएगी। 

4 रकात फ़र्ज़ नमाज़ का तरीका 

जैसे आपने सुन्नत नमाज़ पढ़ी। बस वैसे ही आपको फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ना हैं क्यूंकि दोनों में 4 रकात ही हैं। बस 4 फ़र्ज़ नमाज़ में थोड़े से बदलाव हैं जो इस तरह हैं पहला की इसमें आपको नियत में 4 सुन्नत की जगह 4 फ़र्ज़ बोलना हैं। दूसरा अगर आप मस्जिद में यह नमाज़ पढ़ रहे हैं तो नियत में पीछे इस इमाम के बोल सकते हैं क्यूंकि मस्जिद में फ़र्ज़ नमाज़ इमाम के पीछे होती हैं। इमाम ही फ़र्ज़ नमाज़ को पढ़वाते हैं। तीसरा जब आप पहली 2 रकात फ़र्ज़ पढ़कर तीसरी रकात के लिए खड़े होंगे, उसमे आपको सूरह फातेहा पढ़ने के बाद सीधे रकू में चले जाना हैं। सूरह फातेहा के बाद कोई सूरह जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक नहीं पढ़ना हैं। आपको सीधे रकू में जाना हैं और जो बाकि का तरीका हैं वहीं इस नमाज़ में भी करना हैं।  बस ऐसे आपकी 4 फ़र्ज़ नमाज़ भी हो जाएगी। 

2 रकात नमाज़ सुन्नत का तरीका 

जैसे आपने सबसे पहले 4 रकात नमाज़ सुन्नत पढ़ी उसी तरह अब 2 रकात नमाज़ सुन्नत पढ़नी हैं बस इसमें ये फर्क हैं की पहले आपने 4 सुन्नत पढ़ी अब सिर्फ 2 सुन्नत पढ़नी हैं। इसके लिए आपको नियत में 2 रकात नमाज़ सुन्नत बोलना हैं और 4 की जगह 2 रकात ही पढ़नी हैं यानि दूसरी रकात में अत्तहिय्यात, दरूदे इब्राहिम और दुआ ए मसुरा पढ़ कर सलाम फेरना हैं।

2  रकात नमाज़ नफ़्ल का तरीका 

जैसे आपने 2 रकात नमाज़ सुन्नत पढ़ी बस ऐसे ही 2 रकात नमाज़ नफ़्ल पढ़नी हैं। बस नियत में आपको 2 रकात नमाज़ नफ़्ल बोलना हैं। इस तरह आपकी नफ़्ल नमाज़ भी हो जाएगी। उम्मीद करते है आपको ज़ोहर की नमाज़ को पढ़ने का पूरा तरीका मालूम चल गया होगा। 

अल्लाह हम सबको पंजवक्ता नमाज़ पढ़ने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

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