इस्लाम पाक व साफ़ मज़हब हैं। वह पाकीज़गी को पसंद करता हैं। जहाँ क़ुरान व हदीस में रूह को पाक व साफ़ करने रखने के तरीके बताये गए हैं, वही बदन को भी पाक साफ़ रखने की सख्त ताकीद आयी हैं। बदन को साफ़ पाक रखना भी ईमान का एक अहम हिस्सा हैं, क्यूंकि बदन की पाकी के बिना कोई इबादत अदा व मकबूल नहीं हो सकती।
पाकी नापाकी के सिलसिले में सही जानकारी न होने की वजह से अक्सर लोग बहुत सी नेकियों से महरूम रह जाते हैं। आपने खुद सुना होगा की किसी को नमाज़ के लिए मस्जिद चलने के लिए कहा तो जवाब मिला अरे साहब ! चलता तो ज़रूर लेकिन क्या करुँ नापाक हो गया हूँ। कपड़ो पर छींटे लग गए हैं। मालूम होना चाहिए की नापाक पानी या पेशाब के छींटे लगने से आदमी ऐसा नापाक नहीं हो जाता की वह नहाये बिना नमाज़ नहीं पढ़ सकता। ऐसा आदमी बदन या कपड़े पर लगे छींटो को धोकर पाक हो जायेगा। नहाने की ज़रूरत नहीं सोचिये छोटी सी नादानी से कितना बड़ा नुकसान होगा।
हाँ ग़ुस्ल करना बेहद ज़रूरी हैं सवाल आता हैं कब? जवाब हैं हमबिस्तरी के बाद, या एहतलाम हो जाने पर इसी तरह औरत जब माहवारी से फ़ारिग़ हो जाये तब नहाना वाजिब हो जाता हैं। ऐसा ग़ुस्ल वाजिब हो जाये तो सबसे पहले यह ध्यान रहे की नापाक कपडा पहन कर हरगिज़ न नहाये बल्कि उसे उतर कर पाक कर ले। बदन पर जहाँ नापाकी लगी हैं, उसे अच्छी तरह धो डालें इसी तरह अगर पेशाब करने के बाद पानी से पाकी नहीं हासिल की हैं तो वह चड्डी, पायजामा, लुंगी या पेंट पहन कर न नहाये। उसे धोकर पाक कर ले वर्ना उसकी नापाकी पानी के साथ फैल कर पुरे बदन तक पहुँच जाएगी।
पाकी हासिल करने और पाक होने की नियत से ग़ुस्ल करे। सबसे पहले दोनों हाथ कलाइयों तक अच्छी तरह धो ले, बदन पर लगी नापाकी दूर कर ले और तीन बार इस तरह कुल्ली करे की पानी हलक तक पहुँच जाये। इसी तरह तीन बार नाक के अंदर पानी डालकर हल्की साँस से ऊपर खींचे की पानी नाक की ऊपरी हड्डी तक पहुँच जाये। वहां पानी पहुंचाकर निकाले अगर लापरवाही बरती और पानी ऊपर तक नहीं चढ़ाया तो फिर ग़ुस्ल नहीं होगा।
कुल्ली करने और नाक में पानी चढ़ाने के बाद वज़ू कर ले और फिर बदन पर पानी डालें। पहले दाहिने तरफ फिर बायीं तरफ पानी डालकर मले और इतना ध्यान रखे की बाल बराबर भी जगह कही सुखी न रहने पाए। सर व दाढ़ी के बालो की जड़ो तक पानी पहुँचाना फ़र्ज़ हैं। सर्दियों में खास ध्यान रखे क्यूंकि पानी बड़ी मुश्किल से अंदर पहुँचता हैं। इसी तरह पाँव की अंगुलियां और नाफ में अंगुली घुमा कर पानी पहुंचाए। औरतो को चाहिए की नहाते वक़्त अपने कान व नाक के ज़ेवरों को घुमा लिया करे ताकि पानी सुराख़ में पहुँच जाये वर्ना पाक नहीं होगी।
एक बार बदन गीला करने के बाद साबुन वगैरह लगा कर फिर पुरे बदन पर पानी बहाये ताकि साबुन वगैरह धुल कर साफ़ हो जाये और फिर आखिर में मैल वगैरह छुड़ा कर पुरे बदन पर पानी बहाये। इस तरह बहाये की बदन के हर हर हिस्से से बहकर निचे गिर जाये। बदन से पानी बाह जाना ज़रूरी हैं। बदन गीला करना काफी नहीं।
एक बात का ध्यान रखे, ऐसी जगह बैठ कर न नहाये जहाँ ग़ुस्ल का पानी जमा हो जाता हैं। कुछ ऊँची जगह होनी चाहिए ताकि पानी बह जाया करे। इसी तरह अगर लोटे बाल्टी से नहा रहे हो तो इस बात का ख्याल रखे की पानी के छींटे बाल्टी में न पड़ने पाए वर्ना पानी नापाक हो जायेगा और वह पानी नहाने के काबिल नहीं रहेगा।
हमेशा पाक साफ़ रहने की कोशिश करे क्यूंकि अल्लाह पाक अपने बन्दों को पसंद फरमाता हैं जो पाक साफ़ रहते हैं।