अल्लाह पाक ने अपने बन्दों की हिदायत के लिए दुनिया में हज़ारों नबी व रसूल भेजे। अलग अलग कौमों की तरफ अलग अलग ज़मानो में अलग अलग नबी तशरीफ़ लाये। उन नबियों को अल्लाह पाक ने एक खास कमाल अता फ़रमाया जिसे मोज़ेज़ा कहा जाता हैं। उन सभी नबियों रसूलों को देखकर या कहे उनकी हिदायतों और नसीहतों को सुनकर अलग अलग ज़माने में काफी लोग ईमान लाएं और काफी लोग ऐसे भी थे जो मोज़ेज़ा देखकर भी ईमान ना लाएं। ऐसे लोगों ने नबियों की करामातों उनके कमाल को जादू कह कर ठुकरा दिया। ऐसे लोगों ने एक खुदा को मानने से इंकार कर दिया और नबियों रसूलों की बताई नसीहतों को नहीं माना। ऐसे लोग आगे जाकर अल्लाह पाक की तरफ से तरह तरह की सज़ाओं और अज़ाब से मुबतला किये गए।
इसी तरह नबियों व रसूलों का सिलसिला बंद हो जाने के बाद अल्लाह पाक ने अपने जिन बन्दों को इस्लाह व तबलीग़ की ज़िम्मेदारियाँ दी उन्हें वली कहा जाता हैं। अल्लाह ने अपने इन वलियों को भी कुछ खास ताकतें अता फ़रमाई जिन्हे करामात कहा जाता हैं। ज़रूरत पड़ने पर अल्लाह के इन नेक बन्दों ने अल्लाह की बख़्शी हुई इस ताकत का इस्तेमाल फ़रमाया। आपने दूर व नज़दीक के सैकड़ों वलियों की करामातें देखी सुनी होगी।
सुल्तानुल हिन्द, हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्ला अलैह की बहुत सी करामातें आपने सुनी होगी। आप अपने प्यारे रसूल के फरमान के मुताबिक तबलीग़ व इस्लाह के लिए हिंदुस्तान तशरीफ़ लाये और अजमेर को अपना तबलीग़ मरकज़ बनाया।
अजमेर पहुँचते ही आप आराम करने के लिए जिस पेड़ के नीचे बैठे, वहां उस वक़्त के राजा के जानवर(राजा के पले हुए ऊंट) बैठा करते थे। राजा के सिपाहियों ने जब आपको बैठे देखा तो राजा के सिपाहियों ने आपसे कहा यहाँ से उठ जाओ। यहाँ हमारे राजा के ऊंट बैठा करते हैं। आप (हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्ला अलैह) ने फ़रमाया ऊंट तो कहीं और भी बैठ सकते हैं। यह सुनकर राजा की सिपाहियों ने आपको तेज़ आवाज़ में उठने को कहा। आप उसी वक़्त वहाँ से उठ गए और चल दिए। अगले दिन एक अजीब से वाक़ेया हुआ। जब राजा के सिपाहियों ने बैठे ऊंट को अपनी जगह से उठाना चाहा तो ऊंट तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं उठे। यह देखकर सिपाही दंग रह गए और सारी बात अपने राजा को बताई। राजा ने सिपाहियों को हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्ला अलैह से माफ़ी मांगने को कहा और कहा की उन्हें ढुंढो और उनसे माफ़ी मांगो। राजा के ऐसा कहते ही सिपाहियों ने आप हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्ला अलैह को ढूंढ कर आपसे उनके किये बर्ताव की माफ़ी मांगी। हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्ला अलैह ने उसी वक़्त उन्हें माफ़ कर दिया और कहा की तुम जाओ तुम्हारे ऊंट अब खड़े हो जायेंगे। सिपाहियों ने जब वापिस जाकर ऊंट को उठाना चाहा तो ऊंट उसी वक़्त उठ गए। सुभानअल्लाह ! यह हैं हमारे ख्वाजा गरीब नवाज़ का मर्तबा।
हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी रहमतुल्ला अलैह हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ के पीर मुर्शिद थे। यह वही बुज़ुर्ग हैं जिनकी खिदमत में हमारे ख्वाजा गरीब नवाज़ ने अपनी जवानी के 20 साल गुज़ारे। एक बार की बात हैं एक दिन आप अपने पीर हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी रहमतुल्ला अलैह के साथ सफर में थे। सफर पर चलते चलते आप दजला नदी के किनारे पहुंचे। नदी पार करने के लिए कोई कश्ती नहीं थी। हज़रत ने फ़रमाया मोईनुद्दीन ! अपनी आंखे बंद कर लो फिर थोड़ी देर बाद फ़रमाया आँखे खोल दो। जब ख्वाजा गरीब नवाज़ ने अपनी आंखे खोली तो आप देखते हैं की दोनों दजला नदी के पार पहुँच चुके हैं। आपने हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी रहमतुल्ला अलैह से पूछा हम दोनों नदी के पार कैसे आ गए? हज़रत ने फ़रमाया मैंने सिर्फ 5 मर्तबा सुरह फातेहा पढ़ी थी, उसकी बरकत से अल्लाह पाक ने हम दोनों को खैरियत के साथ दरिया के पार पहुंचा दिया।
यह मक़ाम और मर्तबा उन्ही को नसीब होता हैं जो अपनी ज़िन्दगी अल्लाह की मर्ज़ी के मुताबिक ढाल लेते हैं और फिर उसी के हो जाते हैं। इसलिए अल्लाह पाक उनकी ज़बानों में ऐसी तासीर अता फ़रमा देता हैं की वह जो कहते हैं वह हो जाता हैं। यह ताकत हर किसी को नहीं मिलती यह सिर्फ अल्लाह के खास बन्दों को दी जाती हैं। जिसने अपने आप को अल्लाह के हवाले कर दिया समझो उसने अपनी ज़िन्दगी में सब कुछ पा लिया। बहरहाल ऐसे कैसे कई वली और पीर पैगम्बर की कहानियां हदीसों में मौजूद हैं, जिनके कारनामे हैरान करने वाले हैं। हम कोशिश करेंगे आगे भी ऐसे वलियों के करामातों की जानकारी आगे भी देते रहेंगे।
अल्लाह हाफिज