मगरिब की नमाज़ का वक़्त सूरज डूबने के बाद होता हैं और तकरीबन सवा घंटे तक रहता हैं। मतलब इस सवा घंटे के बीच में आप मगरिब की नमाज़ अदा कर सकते हैं। लेकिन सूरज डूब जाने का यकीन होने पर फ़ौरन नमाज़ अदा कर लेना चाहिए। नमाज़ में देरी नहीं करना चाहिए। देर करना मकरूह हैं। अगर कोई सफर कर रहा हो और मगरिब का वक़्त होते ही नमाज़ अदा करने का मौका नहीं मिला तब फिर आप एक घंटे के अंदर मगरिब की नमाज़ अदा कर सकते है। अगर आप अपने घर पर ही हैं तो तुरंत अज़ान की आवाज़ सुनते ही मगरिब की नमाज़ अदा कर लेना चाहिए।
सूरज डूब जाने का यकीन हो जाने के पांच मिनट बाद अज़ान पढ़ी जाये और अज़ान सुनने के बाद नमाज़ पढ़ी जाये। आजकल तो मस्जिदों में नमाज़ के वक़्त किसी कागज़ पर लिखकर वह कागज़ चिपका दिया जाता है और उसी वक़्त को देखकर अज़ान पढ़ी जाती हैं लेकिन एहतियात इसी में हैं की सूरज डूबने का ख्याल रखा जाये। ताकि नमाज़ सही वक़्त पर अदा की जाये।
मगरिब की नमाज़ की रकातें और उसकी नियत
मगरिब की नमाज़ में कुल 7 रकातें होती है जो इस तरह हैं 3 फ़र्ज़, 2 सुन्नत और 2 नफ़्ल
फ़र्ज़ नमाज़ की नियत- नियत की मैंने तीन रकात नमाज़ फ़र्ज़ वास्ते अल्लाह तआला के पीछे इस इमाम के वक़्त मगरिब का मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ फिर अल्लाहो अकबर कहते हुए नमाज़ अदा करे (ध्यान रहे की नियत करते वक़्त पीछे इस इमाम के उसी वक़्त कहे जब आप इमाम साहब के पीछे नमाज़ अदा कर रहे हो अगर आप अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तब पीछे इस इमाम के कहने की ज़रूरत नहीं)
2 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत- नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ सुन्नत वास्ते अल्लाह तआला के पीछे इस इमाम के वक़्त मगरिब का मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ फिर अल्लाहो अकबर कहते हुए नमाज़ अदा करे।
इन दोनों नमाज़ो को मगरिब की नमाज़ में पढ़ना ज़रूरी है नहीं पढ़ेंगे तो आप गुनहगार होंगे।
तीसरी नमाज़ नफ़्ल नमाज़ हैं जिसमे 2 रकात होती है। इसकी नियत भी उसी तरह हैं जैसे 2 रकात सुन्नत नमाज़ की नियत हैं बस आपको इस नमाज़ में नफ़्ल नमाज़ बोलना हैं और इस नमाज़ में आपको वक़्त का नाम लेना ज़रूरी नहीं। क्यूंकि किसी भी वक़्त की नमाज़ में नफ़्ल ज़रूरी नहीं। नफ़्ल मकरूह औकात के अलावा कभी भी पढ़ी जा सकती हैं। नफ़्ल की नमाज़ की बड़ी फ़ज़ीलत है। इससे आपको फैज़ हासिल होगा।
मगरिब के बाद 6 रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ने की बड़ी फ़ज़ीलत आयी हैं। इसे नमाज़े औवाबीन कहा जाता हैं। 2 -2 रकात की नियत से 6 रकात नफ़्ल नमाज़ अदा करे। और इसे पाबन्दी से अदा करते रहे। इंशाल्लाह आपको बेपनाह फैज़ हासिल होगा।
इसी तरह मगरिब की नमाज़ के बाद पाबन्दी से सूरए वाक़ेआ पढ़ते रहे। जिसकी बरकत से गरीबी दूर हो जाएगी और कारोबार में खैर बरकत होगी।
इसके अलावा मगरिब की नमाज़ के बाद 2 रकात नमाज़ "सलातुल असरार" पढ़ना बहुत फायदेमंद है। जब कोई मुश्किल या परेशानी हो तब इस नमाज़ की बरकत से वह परेशानी दूर हो जाएगी।
इस नमाज़ में हर रकात में अल्हम्दो शरीफ के बाद 11 -11 बाद कुल्हुवल्लाह शरीफ पढ़े। फिर नमाज़ ख़त्म हो जाने के बाद 11 बार दुरुद शरीफ पढ़े। फिर 11 बार यह पढ़े "या रसूलल्लाह या नबीयल्लाह अगिस्नी वम दुदनी फ़ी क़ज़ाए हाजती या काज़ियल हाजात। फिर बाग्दाद् शरीफ की तरफ 11 कदम चलें। हर कदम पर यह दुआ पढ़े या "गौसस सकलैन या करीमत तरफ़ैन अगिस्नी वम दुदनी फ़ी क़ज़ाए हाजती या काज़ियल हाजात"। फिर रसूले अकरम के वसीले से दुआ मांगे। इंशाल्लाह आपकी हर तकलीफ व परेशानी दूर हो जाएगी।
अल्लाह हम सब को पांच वक़्त की नमाज़ का पाबंद बनाये आमीन।