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नफ़्ल नमाज़े और उसकी बरकतें (Nafl Namaze or Uski Barkaten)

नफ़्ल नमाज़े और उसकी बरकतें (Nafl Namaze or Uski Barkaten)

 

इस्लाम में पांच वक़्त की जो नमाज़े फ़र्ज़ हैं उन्हें तो अदा करना ही हैं अगर यह नमाज़े अदा नहीं करेंगे तो बेशक आप गुनहगार होंगे। इन पांच वक़्त की नमाज़ो के अलावा कुछ ऐसी नफ़्लें नमाज़े भी भी हैं जिन्हे अगर आप पाबन्दी से अदा करते हैं तो आप बेशक अल्लाह के महबूब बन्दे बन जायेंगे। एक हदीस की मुताबिक जो शख्स जो पांच नमाज़े फ़र्ज़ हैं उनके अलावा नफ़्ल नमाज़े भी पाबन्दी से अदा करता हैं। अल्लाह पाक ऐसे शख्स को हर मुसीबतो से बचाता हैं। उसके अलावा ऐसे शख्स को बेशुमार नेमतें हासिल होती हैं। 

इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी नफ़्ल नमाज़ो में बारे में बताने वाले हैं जिनकी बरकत से अल्लाह पाक अपने बन्दे पर खास करम फरमाता हैं। इन नमाज़ो को अदा करने वाला शख्स हर बलाओं से महफूज़ रहता हैं। चलिए बात करते हैं इन खास नफ़्ल नमाज़ो के बारे में, 

तहियतुल वज़ू 

तिर्मिज़ी शरीफ की हदीस हैं अल्लाह के प्यारे रसूल ने फ़रमाया ! जो शख्स अच्छी तरह वज़ू करके दो रकात नमाज़ तहियतुल वज़ू पढ़ेगा उसके लिए जन्नत वाजिब हो जाती हैं और उसे दुनियावी ज़िन्दगी में बेशुमार नेअमतें हासिल होती हैं। 

इशराक की नमाज़ 

जो शख्स फज्र की नमाज़ जमाअत से अदा करके वहीं बैठा रहे और अल्लाह का ज़िक्र करता रहे यानि तिलावत, दरूद शरीफ, तस्बीह वगैरह पढ़ता रहे और सूरज निकलने के कुछ देर बाद 2 रकात नमाज़ नमाज़े इशराक पढ़े तो ऐसे शख्स को एक हज या उमरा का सवाब हासिल होता हैं। 

चाश्त की नमाज़

यह नमाज़ भी मुस्तहब नफ़्ल हैं। अल्लाह के प्यारे रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो शख्स चाश्त की 2 रकात नमाज़ दिन निकलने के एक घंटे बाद बाद पढ़ेगा। उसके गुनाह बख़्श दिए जायेंगे। 

तहज्जुद की नमाज़

यह नमाज़ हमारे प्यारे रसूल पर फ़र्ज़ थी। हमारे लिए सुन्नत हैं। इस नमाज़ में कम से कम 2 रकअतें और ज़्यादा से ज़्यादा 8 रकअतें होती हैं। इसका वक़्त ईशा की नमाज़ के बाद थोड़ी देर सो जाने के बाद आंख खुलने पर होता हैं। मतलब यह की इस नमाज़ को अदा करने के लिए ईशा की नमाज़ के बाद थोड़ी देर सोना ज़रूरी है। जब सेहरी के बीच के वक़्त में आंख खुले तो उस दौरान यह नमाज़ अदा करें। कहने के मतलब इस नमाज़ का वक़्त ईशा की नमाज़ के बाद से सेहरी के वक़्त तक रहता हैं। इस नमाज़ को हमेशा पढ़ने वाला शख्स अल्लाह के बहुत करीब रहता हैं। उसे बेशुमार फायदे हासिल होते हैं और वह हर परेशानियों और मुसीबतों से महफूज़ रहता हैं।

सालतुल तस्बीह

यह नमाज़ बड़ी बरकत वाली नमाज़ हैं। एक हदीस में आया हैं की अल्लाह के प्यारे रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने चाचा हज़रत अब्बास से फ़रमाया की अगर हो सके तो यह नमाज़ रोज़ पढ़ो रोज़ न पढ़ सको तो हफ्ते में एक बार पढ़ो अगर ये भी नहीं हो सके तो महीने या साल में एक बार अगर वो भी नहीं तो ज़िन्दगी में एक बार ज़रूर पढ़ना चाहिए। प्यारे रसूल ने इस नमाज़ को पढ़ने के लिए कितना ज़ोर दिया हैं ये आप समझ सकते हो और ये भी समझ सकते हो की अगर प्यारे रसूल ने इस नमाज़ को पढ़ने के लिए इतना ज़ोर दिया हैं तो यह नमाज़ कितनी बरकत वाली नमाज़ होगी। इसका अंदाज़ा आपकी कही बातों से लगाया जा सकता हैं। 

सालतुल तस्बीह नमाज़ का तरीका 

4 रकात नफ़्ल नमाज़ की नियत करे और नियत करने के बाद 15 बार सुब्हानल्लाहे वल्हम्दुलिल्लाहे व लाइलाहा इल्लल्लाहो वल्लाहो अकबर पढ़े अल्हम्दो और सूरत पढ़ने के बाद रुकू में जाने पहले यही तस्बीह 10 बार पढ़े रुकू में सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ लेने के बाद 10 बार रुकू से उठने के बाद सजदे में जाने से पहले 10 बार सजदे में जाने पर सुब्हान रब्बियल आला पढ़ लेने के बाद 10 बार फिर दूसरे सजदे में 10 बार यही तस्बीह पढ़े इस तरह हर रकात में 75 बार यह तस्बीह पढ़ी जाएगी और 4 रकात में 300 बार हो जाएगी।

नमाज़े हाजत

अबू दाऊद की हदीस है, हज़रत हुज़ैफ़ा रदियल्लाहो अन्हो का बयान हैं जब अल्लाह के रसूल का कोई अहम मामला पेश आ जाता या कोई मुसीबत या मुश्किल आ जाती तो इसके लिए आप दो या चार रकात नमाज़ अदा फरमाते। पहली रकात में सूरह फातेहा के बाद 3 मर्तबा आयतल कुर्सी, दूसरी में अल्हम्दो शरीफ के बाद एक बार कुल हुवल्लाह शरीफ, तीसरी में सूरह फ़लक़ और चौथी में सूरह नास पढ़ते और फिर नमाज़ के बाद अपनी हाजत के लिए दुआ मांगते जिसकी बरकत से अल्लाह पाक आपकी हर मुश्किल आसान फरमा देता।

अल्लाह पाक हम सबको पाबन्दी से नमाज़ अदा करने और इस्लामी शरीयत पर चलने की तौफीक अता फरमाए ताकि हम हमारी आख़िरत को सुधार सके आमीन । 

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