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पीर कौन होते हैं? और कौन हो सकते हैं?

पीर कौन होते हैं? और कौन हो सकते हैं?

आजकल आप सुनते होंगे ये साहब पीर हैं और हम इनके मुरीद हैं। तो आज जानेंगे आखिर पीर कौन होते हैं? और पीर कैसे बना जा सकता हैं? पीर वह हो सकता हैं, जो आपको रब की तरफ जाने का रास्ता दिखाए। कहने का मतलब जो आपको अल्लाह के बताये रास्तों पर चलने को कहे। ध्यान रहे की पीर का मर्तबा जितना बड़ा हैं। उतना ही मुश्किल व खतरनाक हैं। यह इतना बड़ा बोझ हैं, जिसे हर कोई नहीं उठा सकता। पीर होना ज़िम्मेदारियों का एक ज़बरदस्त पहाड़ हैं। पीर बन जाना कोई आसान काम नहीं हैं बल्कि जान खोदने से भी ज़्यादा मुश्किल काम हैं। 

मगर अफ़सोस आजकल लोगों ने इसे एक खेल तमाशा समझ लिया हैं। जिसे देखो वही अपने आपको एक पीर बता रहा है और लोगो को अपना मुरीद बनाकर फख्र करता हैं की मेरे इतने सारे मुरीद हैं और उनके मुरीदो को भी कह देता है की मेरा प्रचार प्रसार करो। उन पीर मुरीदों को पता नहीं की आखिर हक़ीक़त में पीर क्या होता हैं? पीर कैसा होना चाहिए? मुरीद किसे कहते हैं? और कोई अपने आपको पीर बता रहा हैं तो पहले उसे जानना चाहिए की हम पीर बनने के काबिल है भी या नहीं। कोई सिर्फ दाढ़ी मूँछ बढाकर पगड़ी बांधने या गले में छल्ले तावीज़ पहनने से पीर नहीं बन सकता। 

आजकल पीर की आड़ में लोगों ने अपना एक धंधा बना लिया हैं। जो की शरीयत के हिसाब से बिलकुल गलत हैं। ऐसे लोग अगर अपने आप को पीर बताये तो आपको ऐसे लोगो से बचना चाहिए। 

आज हम आपको बताएँगे की एक पीर में क्या क्या खूबियां होना चाहिए तब जाकर वह पीर बनने लायक हो सकता हैं। 

  • पीर वही बन सकता हैं जो क़ुरान मजीद और शरीयत के मसाइल की जानकारी रखता हो। कोई भी जाहिल आदमी जिसे क़ुरान और शरीयत का इल्म नहीं वो पीर नहीं बन सकता। 
  • पीर वह नहीं बन सकता हैं जो गुमराह जमाअतों से ताल्लुक रखता हो। जो लोगो को गुमराही के रास्तो पर चलने को कहता हो। 
  • पीर वह बन सकता हैं जो सुन्नत व शरीयत का पाबंद हो। जो गुनाहे कबीरा सग़ीरा से बचता हो। सुन्नत दाढ़ी रखता हो नमाज़ रोज़े का पाबंद हो। 
  • जो आदमी शरीयत के खिलाफ काम करे वह पीर बनने लायक नहीं। 
  • पीर का सिलसिला नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम तक पहुँचता हो। उसके बीच में कही टूटता न हो। कहने का मतलब जो पुराने पीर रह चुके हैं अगर उनकी औलादें उन पीर के मरने के बाद अगर अपने आपको पीर बताये अगर उनमे पीर बनने जैसे कोई गुण न हो तो वो भी गलत हैं। ऐसे को मुरीद होना हराम हैं। 
  • फ़र्ज़ व वाजिब अरकान अदा करने के अलावा तरह तरह के वज़ीफ़ों का आमील हो। 
  • लोगों को नेक रास्ते पर चलने और गलत कामों को करने के लिए मना करता हो। 
  • अपने मुरीदों का बराबर ध्यान रखता हो और उन्हें शरीयत के खिलाफ काम करने पर टोकता हो। 

अगर कोई पीर हैं तो उसे चाहिए की वह फ़ौरन किसी को अपना मुरीद न बनाये। पहले उसे शरीयत का पाबंद करके और कुछ नसीहत करके जाने दे। अगर किसी मुरीद को सच्ची अकीदत होगी तो वह दोबारा हाज़िर होगा। मुरीद को चाहिए अगर कोई पीर होने का दावा कर रहा हैं उसके बारे में पहले अच्छे से जान ले। आजकल के कुछ लोग अपने आपको पीर बताने लग गए हैं और पहले नज़राने की मांग करते हैं। उन्हें मुरीद से मतलब नहीं चाहे वो कैसा भी हो। कुछ लोग आसपास के लोगो को यह बताते हैं की हमारे मुरीद हो जाओ तुम्हारा सब परेशानी और काम ठीक हो जायेंगे। ऐसे लोगो का मुरीद बनने से पहले उनके बारे में जान ले की आखिर में ऐसे लोग पीर है भी या नहीं। 

पीर को चाहिए की मर्दो का हाथ अपने हाथ में लेकर बैअत करे और औरतों को परदे में बिठाकर अपना रूमाल, अमामा, पकड़ा कर मुरीद बनायें और मुरीद बनाते वक़्त उन्हें शरीयत की पाबन्दी की सख्त ताकीद करे। औरतों को बेपर्दा या हाथ पकड़ कर मुरीद बनाना जाइज़ नहीं। जो पीर यह कहते हैं की औरत को पीर से पर्दा करने की ज़रूरत नहीं। मुरीद हो जाने के बाद औरत पीर की बेटी बन जाती हैं। यह कहना बिलकुल गलत हैं और शैतानी ख्याल हैं। औरतों को अपने पीर से भी पर्दा करना चाहिए।

पीर के लिए ज़रूरी हैं की अपने मुरीदों को इस्लाम की अच्छी तालीम से रूबरू करवाए। तरह तरह के वज़ीफ़ों को पढ़ने का तरीका सिखाये। खुदा के रास्ते पर चलने की राह दिखाए। जिससे मुरीदों में एक रूहानी इंक़ेलाब पैदा हो सके जिससे वह दीन का पाबंद हो जाये। 

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